मजदूरों पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक फैसले से राजनीतिक हंगामा मच सकता है. योगी सरकार ने यूपी में मजदूर आयोग बनाने का फैसला किया है, जिसके तहत यूपी के मजदूर अगर अन्य राज्यों में काम करने जाएंगे तो पहले वहां की सरकारों को यूपी से इजाजत लेनी होगी. मजदूरों की घरवापसी को लेकर जिस तरह से तलवारें खिंची हैं, उसके बाद योगी सरकार का ये फैसला राजनीतिक तौर पर बेहद संवेदनशील है. इस फैसले का ऐलान करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा भी है कि लॉकडाउन में कई राज्यों में मजदूरों का ठीक से ख्याल नहीं रखा गया. यूपी के मजदूरों की घरवापसी को लेकर दिल्ली और महाराष्ट्र दोनों जगहों पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप हुए हैं. दिल्ली-मुंबई से मजदूरों के पैदल चलने की तस्वीरें या बस और ट्रेन के लिए धक्के खाने की तस्वीरें सिहरन पैदा करती हैं. लेकिन मजदूरों पर यूपी के फैसले के बाद मराठी मानुष की राजनीति करते आए राज ठाकरे ने तीखी प्रतिक्रिया दी है, तो उधर उत्तर प्रदेश में भी विपक्षी दल योगी सरकार की कथनी और करनी का सवाल उठाकर उन्हें घेर रहे हैं. इसीलिए आज दंगल में हमारा सवाल है कि मजदूरों का सगा कौन, मजदूरों को ठगा कौन?