भारत के 68वें गणतंत्र दिवस की पूर्वसंध्या पर देखिए कि 10 तक की विशेष पेशकश. इस कार्यक्रम में आप देखेंगे कि कैसे लोकतंत्र रूपी शराब को हर बार नई बोतल के भीतर जनता को परोसा जाता है. वास्तविक मुद्दे गौण हो जाते हैं और अनावश्यक बहसें केंद्र में आ जाती हैं. कैसे सत्ता हमेशा उसे ही मिली जिसने भूखी जनता का पेट भरने का काम किया. कैसे लोकंतंत्र का संकट दिन-पर-दिन गहराता चला जा रहा है. कैसे लोगों की लोकतंत्र में आस्था डिग रही है...