प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूपी वटवृक्ष के तले उस पूरी अर्थव्यवस्था को पनपना है, जिसमें बहार लाने का दावा मोदी ने चुनाव से पहले कई-कई बार किया, लेकिन तीन साल बाद महंगाई से लेकर जीडीपी और रोजगार से लेकर एनपीए तक के मुद्दे अगर अर्थव्यवस्था को संकट में खड़ा कर रहे हैं, तो चिंता पीएम को होना लाजिमी है. इसके साथ ही अब जबकि 2019 के चुनाव में डेढ़ बरस का वक्त ही बचा है, सुस्त अर्थव्यवस्था मोदी की विकास की तमाम योजनाओं को पटरी से उतार सकती है.