देश के प्रथम नागरिक के तौर पर रामनाथ कोविंद को चुना जा चुका है. यह दूसरा मौका है जब देश के सबसे कमजोर और पिछड़े तबके का कोई व्यक्ति राष्ट्रपति चुना गया है.
ये भारतीय संविधान की ही ताकत है कि देश के सर्वोच्च सांवैधानिक पद पर आसिन होने के लिए धर्म-जाति आडे नहीं आती. धर्मनिरपेक्ष देश के तौर पर भारत की पहचान यूं ही नहीं है. बीते 13 राष्ट्रपतियों की कतार में जाकिर हुसैन, फखरुद्दीन अली अहमद, अब्दुल कलाम का भी नाम है और ज्ञानी जैल सिंह का भी और 1997 में दलित समाज के केआर नारायण भी देश के राष्ट्रपति बने और अब 14वें राष्ट्रपति के तौर पर रामनाथ कोविंद चुने जा चुके हैं.
तो आईए नए राष्ट्रपति के जरीये दुनिया के सबसे बडे लोकतांत्रिक देश का सच भी परख लें... आखिर कौन सी मिट्टी भारत को दुनिया में श्रेष्ट बनाती है और कौन किस मिट्टी देश के सबसे पिछडे गरीब तबके से निकले रामनाथ कोविद को भी देश के सर्वोच्च पद तक पहुंचा देती है.