हर शहीद की अंतिम यात्रा में देश सलाम करता है. सेना सलामी देती है. परिजनो की आंखो में आंसू होते है साथ ही देश भी रोता है. लेकिन कोई जवान जब अपने बेटे से ये कहे मैं उसूलों का पक्का हूं, देश के लिए मातृभूमि के लिए मैं जान दे रहा हूं, मैंनें सल्फास की गोली खा ली है और सैनिक पिता के बेटे को पुलिस थाने में बेद कर दें तो शहादत और सलामी क्या मायने रखती है ये पता लगाना मुश्किल नहीं.