राहुल की हर अदा ने राजनीति की परंपरा तोड़ी है, लेकिन 2014 में जनता ने ही जब पारंपरिक राजनीति को गुडबाय कह दिया. तो क्या 2017 का जनादेश राहुल को ही गुडबाय करने को तैयार है या फिर पहली बार नेहरू-गांधी परिवार की चौथी-पीढ़ी ना सिर्फ 'एकला चलो रे' की सोच को खारिज कर देश की नई राजनीति तले ही मात देने को तैयार है या फिर कांग्रेस अब खुद को नए सिरे से गढ़ने को तैयार हो चुकी है. 10 में देखिए इन्हीं सवालों की एक पड़ताल...