महाकुंभ में करोड़ों लोग डुबकी लगा चुके हैं, करोड़ों पहुंच रहे हैं और करोड़ों के पहुंचने का अभी संभावना है. इन सबके बीच सवाल है कि क्या सरकार के इंतजाम कम हैं या जनता का गुस्सा ज्यादा है. आम आदमी ट्रेनों में किसी भी तरह भरकर जाने के लिए लाचार है. ट्रेनों में लटकर, ठूंस-ठूंस कर जानें को लोग मजबूर हैं. जगह नहीं मिल रही है, ट्रेन के दरवाजे नहीं खुल रहे हैं तो लोग शीशे तोड़कर अंदर घुसने की कोशिश कर रहे हैं? देखें दस्तक.