लोकतंत्र में सत्ता तो वोटों के दम पर मिली सीटों के आधार पर हासिल होती है लेकिन लोकतंत्र संविधान की मूल भावना के आधार पर चलता है. जनता की भावनाएं भड़का कर लोकतंत्र को चोटिल किया जाता है और डेमोक्रेसी के प्रति आम आदमी की भावना को कमजोर भी. आज उन भावनाओं को समझना जरूरी हैं जो संसद से आई हैं. पिछले हफ्ते ब्रिटिश पत्रिका ‘द इकॉनमिस्ट’ की तरफ से जारी डेमोक्रेसी इंडेक्स में लोकतंत्र के पैमाने पर भारत दो पायदान नीचे बताया गया. इसकी एक वजह देश के ही मुस्लिम नागरिकों में भय की बात करने वाली राजनीतिक रूप से प्रदूषित विचारधारा भी हो सकती है. ऐसी सोच वालों को मुल्क में मुस्लिमों के हर नागरिक की तरह आजाद होने की आजाद भावना भी समझनी होगी, जो आज संसद से ही सामने आई है. वहीं आपदा के 60 घंटे बाद अब देश जानना चाहता है कि राहत और बचाव का अभियान कहां तक पहुंचा है. कितने वक्त में बाकी 35 मजदूरों को निकाला जा सकेगा. देखें दस्तक, रोहित सरदाना के साथ.