साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने यूपी में नए सियासी राम तलाश लिए हैं. डॉ भीमराव अंबेडकर के नाम के साथ अब रामजी भी अवतरित हो गए हैं. पूरे नाम लिखने की दलील देकर सरकार अंबेडकर और राम के चुनावी नफे को टटोल रही है, लेकिन दलित संगठनों ने नाराजगी का बिगुल फूंक दिया है. अब सवाल ये है कि क्या बीजेपी राम नाम के बगैर चुनावी नदी में तैर नहीं सकती? आखिर बरसों बरस के बाद अंबेडकर के पूरे नाम की फिक्र मे सरकार परेशान क्यों हो उठी? क्या दलित कार्ड का सहारा है या राम नाम का? इस मुद्दे पर अंजना ओम कश्यप के साथ देखिए हल्ला बोल......