हरियाणा में वोटरों ने खट्टर की खटिया खड़ी कर दी तो महाराष्ट्र में फडनवीस पेशवा तो बन गए, लेकिन उनकी कुर्सी शिवसेना की और ज़्यादा मोहताज बन कर रह गई. जिस मोदी-शाह की डेडली जोड़ी को चुनाव मैनेजमेंट का माहिर खिलाड़ी माना जाता रहा है, उसी जोड़ी के मैनेजमेंट पर बीजेपी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने सवालिया निशान लगा दिया. बीजेपी दोनों राज्यों में अनुच्छेद 370 और राष्ट्रवाद को चुनावी तलवार बनाकर विपक्ष के सफ़ाए का नारा बुलंद कर रही थी. लेकिन जनता ने ज़मीनी मुद्दों को तरजीह दी और लुटी-पिटी कांग्रेस में सियासी जान फूंक दी. क्या हरियाणा महाराष्ट्र के नतीजे बीजेपी को सावधान करने वाले हैं- इसी पर है हमारा आज का हल्लाबोल.