हक मांगने की लड़ाई ऐसे लड़ी गई थी, जो हाथ में आया उसे जला डाला. जो नजरों के सामने दिखा उसे मिटा डाला. ये हक मांगने का हरियाणवी सलीका था, जिसमें कथित आंदोलनकारियों ने हजारों करोड़ फूंक डाले. तबाही के उस सप्ताह में सिर्फ संपत्ति जलाने की घटनाएं ही नहीं हुईं. बल्कि उन पर उस राह से गुजरती आम महिलाओं की आबरू लूटने का सबसे संगीन इल्जाम भी है.