केजरीवाल को देश की सबसे बडी अदालत ने शर्तों के साथ जमात दी है. शर्त ये कि वो अपने दफ्तर नहीं जाएंगे. और जबतक बहुत जरुरी ना हो वो किसी सरकारी फाइल पर हस्ताक्षर भी नहीं करेंगे. केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री तो रहेंगे लेकिन शायद उनके पास सियासी काम ज्यादा होंगे. उन कामों में पार्टी का संय़ोजन और चुनाव प्रचार भी शामिल होगा. ऐसे में सवाल कि क्या केजरीवाल की रिहाई से AAP में जान आई है और हरियाणा चुनाव में पार्टी को कितना फायदा होगा? देखें हल्ला बोल.