पिछले तीन दिन में ये बहस असम से निकलकर पूरे देश में चल रही है कि आखिर देश क्यों उन लोगों का बोझ बर्दाश्त करें. जो लोग अवैध तरीकों से आकर देश में बस गए हैं. और अपनी पहचान छुपाकर किसी ना किसी जुगाड़ के ज़रिए अब भारतीय नागरिक के तौर पर रहते हैं. और वो देश के हर संसाधन में आम भारतीय नागरिकों की तरह अपना हिस्सा बंटाते हैं.