ये बहुत दुर्भाग्य की बात है कि हमारे देश में प्रदूषण का मुद्दा तब तक मायने नहीं रखता, जब तक लोगों की एक-एक सांस पर आफत ना आ जाए. इस आदत का असली चैंपियन हमारे देश का सिस्टम भी है और एक हद तक देश के नागरिक भी हैं क्योंकि कुछ हो-हल्ले के बाद अक्सर प्रदूषण का मुद्दा उसी हवा में गायब हो जाता है.