हम उस देश और उस समाज में रहते हैं, जहां औसतन हर घंटे रेप के चार मामले दर्ज होते हैं यानी दिन के 106 और महीने के करीब तीन हज़ार रेप केस, लेकिन फिर भी हम किसी भी रूप में...किसी भी तरीके से...अगर रेप के आरोपियों को बचाने में लग जाएं, तो फिर इससे ज़्यादा शर्मनाक कोई और बात नहीं हो सकती. खासतौर पर हमारे उन नेताओं और उन राजनैतिक दलों के लिए ये तो शर्म से डूब मरने वाली बात है, क्योंकि ये वही लोग हैं, जो बेटी बचाओ का नारा देकर चुनाव जीतते हैं. लेकिन राज चलाते हैं...विधायक बचाओ के नाम पर. रोहित सरदाना के साथ देखिए खास कार्यक्रम खबरदार....