चीन ने वही किया जिसकी आशंका थी. पीठ में खंजर भोंकने की. डोकलाम पर समझौते के सवा महीने भी नहीं बीते हैं कि उसने धोखे की दास्तान लिख डाली. 28 अगस्त के समझौते को तोड़कर उसने डोकलाम के पास भारी संख्या में सैनिकों की तैनाती कर डाली है. मतलब म्यामार के डोकलाम पठार से चीन की गिद्ध दृष्टि हटी नहीं थी. उसने सैनिकों को पीछे हटाने का समझौता करके इसका भ्रम पैदा किया था.