चिंता चिता के समान होती है. ये इंसान को वैसे ही खोखला कर देती है जैसे कपड़े को कीड़ा. इसलिए चिंता से आप जितना दूर रहेंगे उतना ही आप प्रसन्न और शांत रहेंगे. इंसान कभी अपनी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए, कभी धन की लालसा, कभी काम तो कभी क्रोध, कभी मोह तो कभी लोभ के चलते चिंता रूपी चिता पर बैठ जाता है. आप इन सबको त्याग दें तो यकीन मानिए चिंता का भी अंत हो जाएगा. जानिए आप कैसे चिंता को दूर कर सकते हैं.