इंसान भाग्य को ईश्वर का लिखा हुआ मानता है. उसका मानना है कि सुख या दुख का मिलना भाग्य में लिखा हुआ है. लेकिन, ऐसा नहीं है. भाग्य ईश्वर के लिखे हुए से ज्यादा इंसान के कर्मों से रचा हुआ है. आपके कर्म जैसे होंगे आपको वैसा ही फल मिलेगा.