जिंदगी में जरूरी नहीं है कि जो हो रहा है, वो आपके भाग्य में लिखा हो. भाग्य बेशक कुछ चीजें का निर्धारक होता है, लेकिन भाग्य अपने आप कुछ नहीं करता. इंसान के कर्म ही इसका निर्धारण करते हैं. इसलिए अच्छे कर्म करें और खुद लिखें अपना भाग्य.