मैं भाग्य हूं, आपका साथी, आपका मार्गदर्शक. मैं आप में ही निहित हूं क्योंकि आपके जैसे कर्म होते हैं वैसा ही फल आपको मिलता है. नई पीढ़ी आगे बढ़ रही है लेकिन अपने संस्कारों को भूल रही है.