मैं भाग्य हूं... आपका मार्गदर्शक.. आपके जीवन का नियामक और हर रोज की तरह मैं भाग्य आज भी आपका मार्गदर्शन करने आया
हूं. आपको आपके कर्मों के बारे में कुछ खास बताने आया हूं. क्योंकि आपके कर्मों के परिणाम से ही तो मैं बनता हूं. आपके अच्छे
कर्म. एक अच्छे भाग्य का निर्माण कर सकते हैं. यदि आप अपना भाग्य चमकाना चाहते हैं तो अपने कर्मों को सही आधार दीजिए. सही दिशा में कर्म कीजिए और सबसे जरूरी ये हैं कि आप कर्म तब तक करें जब तक उसमें सफलता. न मिले.. उससे भी जरूरी ये है कि आप कर्म करते समय अपने दिलो-दिमाग दोनों की सुनें पर किसी तीसरे को इस पर हावी न होने दें और ये तीसरी चीज होती है भय, ये भी तो सच ही है कि असली जीवन वही है जो भयमुक्त होकर जिया जाए. क्योंकि जो लोग इस धरती पर डर के साए में जीवन जीते हैं उनका जीवन जीते जी नर्क से बदतर हो जाता है.