इंसान की इच्छाओं का कोई अंत नहीं होता है. जिसको जितना मिलता है उतना कम होता है. लेकिन इंसान अपनी इच्छाओं को काबू में कर ले और मन को स्थिर रखकर कर्म करे तो यकीन मानिए एक परम सुख की अनुभूति होगी.