आपकी तकदीर, आपके मुकद्दर का निर्णय आपके भाग्य और कर्मों के जरिए होता है. लेकिन, कर्म भाग्य नहीं हैं पर कर्म से हमारे चरित्र की रचना होती है. कोई अच्छा पेड़ बुरा फल नहीं देता है, लेकिन हर पेड़ अपने फल से ही पहचाना जाता है. कोई भी काम ऐसा नहीं होता जो अकारण होता है.