हमारे पूर्वजों ने हमेशा कहा है कि नेकी कर दरिया में डाल. वो नेकी करते थे और भूल जाते थे.  वो इस बात की कभी चिंता नहीं करते थे  कि आज उन्होंने जो किया है कि उससे उन्हें क्या मिलेगा.