बिहार सरकार ने शंखनाद किया है कि अगर उनके सूबे में कोई शख्स विरोध प्रदर्शन या चक्का जाम करता है और उसके खिलाफ कोई केस दर्ज होता है, इस केस की चार्जशीट पुलिस फाइल करती है, तो वो शख्स सरकारी नौकरी के योग्य नहीं होगा. मतलब उसे सरकारी नौकरी नहीं दी जाएगी. सवाल ये है कि जब पहले से ही ऐसा नियम है कि अपराध में संलिप्त शख्स को सरकारी नौकरी मिलती तो फिर ऐसा नियम बनाने की जरूरत नीतीश कुमार को क्यों पड़ी? सवाल ये भी है कि क्या इस नियम के बहाने नीतीश कुमार उन लोगों की आवाज नहीं उठने देना चाहते जो उनकी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन या चक्का जाम करते हैं? देखें शंखनाद, चित्रा त्रिपाठी के साथ.