16 दिसंबर 2012 में हुए निर्भया कांड ने देशभर को झकझोर दिया था. देश में सियासतदान एकजुट होकर, बलात्कार के खिलाफ कठोर कानून बनाने को एकमत हो गए थे. कानून बना, निर्भया के दोषियों को फांसी हुई लेकिन क्या बलात्कार रुके? देश के हर कोने में कई न कोई नई निर्भया नजर आती है. यह किसकी असफलता है? यह किसके मुंह पर तमाचा है? क्यों नहीं इस देश में महिलाएं सुरक्षित हैं. किसी बेटी के खिलाफ ऐसी हरकत हो तो क्या चाहिए, सियासत या हमेशा के लिए अपराधियों के लिए नासूर बन जाए. हाथरस पीड़िता के साथ क्या हुआ? आज इन्हीं सवालों पर देखिए श्वेतपत्र, श्वेता के साथ.