सीरिया से बाहर आई कुछ तस्वीरों ने पूरी दुनिया का कलेजा छलनी कर दिया है. चार लाख की आबादी वाले अपने ही एक शहर पर अपनी ही हुकूमत बम पर बम बरसा रही है. आसमान से बरसते इन बमों को बरसाने वालों के लिए इस बात के कोई मतलब या मायने नहीं है कि बम किनके सीने पर फट रहे हैं. मरने वाले अपने ही बेगुनाह लोग हैं, बेबस औरतें या मासूम बच्चे. उन्हें कोई फिक्र नहीं. क्योंकि सारी लड़ाई कुर्सी की है. ताकत की है. सत्ता की है.