वारदात में बात करेंगे कैमरों में कैद दिल्ली पुलिस के सच के बारे में. 36 साल गुजर गए. पर दिल्ली पुलिस नहीं बदली. 84 के दंगे में भी दिल्ली पुलिस पर इलज़ाम लगे थे कि उसने अपना फर्ज ईमानदारी से नहीं निभाया था. अब 36 साल बाद दिल्ली पुलिस पर फिर से वही इलज़ाम लग रहे हैं. बस फर्क ये है कि 36 साल पहले सीसीटीवी कैमरे या मोबाइल नहीं हुआ करते थे. इसलिए तब कैमरे पर सबूत कम थे. मगर इस बार दिल्ली पुलिस की असली तस्वीर एक साथ कई कैमरों ने कैद कर ली है.