अब तक जो ज़ुबान सिर्फ ज़हर उगल रहे थे और जो हाथ बस बम के बटव की तरफ बढ़ रहे थे, वही ज़ुबान अब अचानक मीठी गई. अब हाथ बम के बटन की बजाए गले मिलने के लिए आगे बढ़ रहे हैं. दुनिया हैरान है. हैरान है इस बात पर कि सिर्फ दो महीने में ऐसा क्या हो गया कि अचानक एक तानाशाह शांति का दूत बन गया. बम छोड़ कर बात करने लगा. दुश्मनी भुला कर दुश्मन के घर जा रहा है. दुश्मनों को अपने घर बुला रहा है. एलानिया और बम बनाने से तौबा कर रहा है. जी हां. हम बात कर रहे हैं उत्तर कोरिया के बदले-बदले तानाशाह मार्शल किम जोंग उन की. पर सवाल ये है कि आखिर किम बदला क्यों? तो इसका जवाब छुपा है उस महा-मिलन में जो जून के पहले हफ्ते में होने जा रहा है और जिसका इंतजार पूरी दुनिया को है.