शुरुआत दाल-रोटी से हुई थी और अब बात निवाले-निवाले के बीच फर्क तक पहुंच गई है. सवाल ये उठ रहा है कि जब फर्ज और जिम्मेदारी एक जैसी है तो फिर मेहनताना में फर्क क्यों? क्यों अर्धसैनिक बलों और सेना के जवानों के बीच तमाम सुविधाओं को लेकर भेदभाव किया जाता है? यहां तक कि क्यों शहादत का हक सर्फ सेना के जवानों को हासिल है, अर्धसैनिक बल के जवानों को नहीं. दाल-रोटी पर बीएसएफ के जवान तेज बहादुर के सवाल उठाने के बाद अब सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स यानी सीआरपीएफ के एक जवान ने निवाले-निवाले के फर्क का मुद्दा उठाया है.