उसके दिल में बहुत मोहब्बत थी, मगर दिमाग में एक कीड़ा था. सनक का कीड़ा और जब-जब ये कीड़ा चलता था किसी न किसी की सांसें थम जाती थीं. पहली बार जब ये कीड़ा चला तो मां-बाप की सांसें रुकी और दूसरी बार जब चला तो उसकी मोहब्बत मर गई.
उसकी चाहत थी कि वो शाहजहां बने और अपनी मुमताज से बेपनाह मोहब्बत करे, मगर उसके जीते जी नहीं, मरने के बाद. उसकी इस चाहत के दरमियान जो भी आया मारा गया. खुद उसकी मुमताज भी नहीं बची, लेकिन संगमरमर की कब्र में दफना कर उसने उसे खूब चाहा.
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