मिठाई खरीदने के बाद उस डिब्बे में मिठाई का बिल तक रख देते हैं. रेलवे का टिकट वो अपने असली नाम पर बुक कराते हैं. सिम कार्ड असली आईडी प्रूफ पर लेते हैं. होटल में कमरा तक अपने असली नाम और असली आईडी प्रूफ पर लेते हैं. फेक फेसबुक आईडी पर अपनी असली तस्वीर लगाते हैं. यहां तक कि किसी भी सीसीटीवी कैमरे में वो खुद को नहीं बचाते और हर कैमरे में खुद को कैद करवाते जाते हैं. जाते-जाते होटल के कमरे में अपने सामान के साथ-साथ खून से सना वो चाकू भी छोड़ जाते हैं जिनपर उनकी उंगलियों के निशान हैं. यानी कमलेश तिवारी के कातिल ये चाहते थे कि उनकी पहचान ज़ाहिर हो और पुलिस उनतक आसानी से पहुंच जाए, लेकिन क्यों?