Advertisement

81 लाख कैश, 30 लाख का प्लाट, 16 बीघा खेत और 41 तोला सोना... भांजी की शादी में खर्च किए 3 करोड़ रुपये

Rajasthan Wedding: नागौर जिले में मामा ने अपनी भांजी की शादी में 3 करोड़ 21 लाख रुपये खर्च किए. नाना भंवरलाल गरवा ने अपनी नातिन अनुष्का को 81 लाख रुपये कैश, नागौर में रिंग रोड पर 30 लाख का प्लॉट, 16 बीघा खेत, 41 तोला सोना, 3 किलो चांदी, एक नया ट्रैक्टर-ट्रॉली धान से भरी हुई और एक स्कूटी दी है.

भांजी की शादी में तीन मामा ने खर्च किए करोड़ों रुपये भांजी की शादी में तीन मामा ने खर्च किए करोड़ों रुपये
केशाराम गढ़वार
  • नागौर,
  • 17 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 9:32 PM IST

राजस्थान के नागौर जिले की एक शादी बेहद चर्चा में है, जहां तीन मामा ने भांजी की शादी में 3 करोड़ 21 लाख रुपये खर्च किए. साथ अपनी बहन को रुपयों से सजी ओढ़नी ओढ़ाई.यह शादी पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बनी हुई है. यह मामला जिले के जायल क्षेत्र के झाड़ेली गांव का है.

यहां रहने वाली घेवरी देवी और भंवरलाल पोटलिया की बेटी अनुष्का की बुधवार को शादी ढींगसरी के रहने वाले कैलाश के साथ हुई थी. इस दौरान अनुष्का के नाना बुरड़ी गांव निवासी भंवरलाल गरवा अपने तीनों बेटे हरेंद्र, रामेश्वर और राजेंद्र के साथ करोड़ों रुपये का मायरा भरकर बहन भाई के अटूट रिश्ते को एक बार फिर इतिहास के पन्नो में दर्ज करा दिया. पूरे देश में इसकी चर्चा हो रही है. 

Advertisement

भांजी की शादी में भरा 3.21 करोड़ रुपये का मायरा

नाना भंवरलाल गरवा ने अपनी नातिन अनुष्का को 81 लाख रुपये कैश, नागौर में रिंग रोड पर 30 लाख का प्लाट, 16 बीघा खेत, 41 तोला सोना, 3 किलो चांदी, एक नया ट्रैक्टर-ट्रॉली धान से भरी हुई और एक स्कूटी दी है. घेवरी देवी ने जब अपने पिता और भाइयों के इस सम्मान को देखा, तो आंसू आ गए.

दरअसल, राजस्थान में बहन के बच्चों की शादी पर ननिहाल पक्ष की तरफ से मायरा भरने की प्रथा है. सामान्य तौर पर इसे भात भरना भी कहा जाता है. इस रस्म में ननिहाल पक्ष की तरफ से बहन के बच्चों के लिए कपड़े, गहने, रुपये और अन्य सामान दिया जाता है. इसमें बहन के ससुराल पक्ष के लोगों के लिए भी कपड़े और जेवरात आदी होते हैं. 

Advertisement

घेवरी देवी के पिता भंवरलाल का कहना है कि उसके पास करीब 350 बीघा उपजाऊ जमीन है. उनके उसके तीन बेटे हरेंद्र, रामेश्वर और राजेंद्र और घेवरी की इकलौती की बेटी हैं, जो उसको ईश्वर ने एक बड़ा उपहार है. बहन बेटी और बहू से बढ़कर इस संसार में कोई बड़ा धन नहीं है. 

नागौर का मायरा प्रसिद्ध

 

नाना रुपयों से भरा थाल लेकर नातिन अनुष्का के पहुंचे

घेवरी देवी के पिता खुद अपने सिर पर रुपयों से भरकर रुपयों की थाली भरकर टेंट में पहुंचे. थाली में 81 लाख रुपये नगदी अपनी बेटी के लिए 500 रुपये से सजी ओढ़नी भी थी. साथ में 16 बीघा खेती के लिए जमीन नागौर शहर में रिंग रोड के ऊपर 30 लाख की लागत का एक प्लॉट 41 तोला सोना और 3 किलो चांदी के गहने दिए.  

इसके अलावा और अनाज की बोरियों से भरी हुई एकदम नया ट्रैक्टर ट्रॉली और स्कूटी के कई गिफ्ट दिए. यह मायरा चर्चा का विषय बन गया. समाज और पंच-पटेलों की मौजूदगी में ननिहाल पक्ष की ओर से जमीन के सारे डॉक्यूमेंट्स बेटी के परिवार को दिए गए.

बहन को ओढ़ाई 500-500 रुपये नोट से सजी चुनरी

 

नागौर के मायरा के मायने

नागौर के मायरा को बेहद सम्मान की नजर से देखा जाता है. बजुर्गों का कहना है कि मुगल शासन के दौरान के यहां के खिंयाला और जायल के जाटों द्वारा लिछमा गुजरी को अपनी बहन मान कर भरे गए मायरा को तो महिलाएं लोक गीतों में भी गाती हैं. कहा जाता है कि यहां के धर्माराम जाट और गोपालराम जाट मुगल शासन में बादशाह के लिए टैक्स कलेक्शन कर दिल्ली दरबार में ले जाकर जमा करने का काम करते थे. 

Advertisement
जमीन के सारे डॉक्यूमेंट्स बेटी के परिवार को दिए गए

 

 

नरसी भगत के जीवन से हुई थी मायरे की शुरुआत 

मायरे की शुरुआत नरसी भगत के जीवन से हुई थी. नरसी का जन्म गुजरात के जूनागढ़ में आज से 600 साल पूर्व हुमायूं के शासनकाल में हुआ. नरसी जन्म से ही गूंगे-बहरे थे. वो अपनी दादी के पास रहते थे. उनका एक भाई-भाभी भी थी. भाभी का स्वभाव कड़क था.

एक संत की कृपा से नरसी की आवाज वापस आ गई तथा उनका बहरापन भी ठीक हो गया. नरसी के माता-पिता गांव की एक महामारी का शिकार हो गए. नरसी का विवाह हुआ, लेकिन छोटी उम्र में पत्नी भगवान को प्यारी हो गई. नरसी जी का दूसरा विवाह कराया गया. कुछ दिन बाद भाभी ने उन्हें घर से निकाल दिया. इसके बाद उन्होंने सांसारिक मोह त्याग दिया और संत बनकर भगवान श्रीकृष्ण की भक्ती में रंग गए. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement