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सरिस्का टाइगर रिजर्व में अपने लिए जगह तलाश रहे 9 बाघ, प्रशासन की बढ़ रही मुसीबतें

1213 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में सरिस्का का जंगल फैला हुआ है. एनसीआर का हिस्सा होने के कारण साल भर यहां घरेलू-विदेशी पर्यटक आते हैं. यहां आने वाले पर्यटकों को प्रतिदिन बाघों की साइटिंग होती है. इसलिए पर्यटकों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है.

अलवर में स्थित है सरिस्का टाइगर (फाइल फोटो) अलवर में स्थित है सरिस्का टाइगर (फाइल फोटो)
हिमांशु शर्मा
  • अलवर,
  • 19 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 10:08 PM IST

राजस्थान के अलवर में स्थित सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा बढ़ रहा है. यहां 9 बाघ ऐसे हैं, जिनकी अभी तक कोई टेरिटरी नहीं है. इसमें से दो युवा हैं, जबकि सात शावक हैं. टेरिटरी नहीं होने के कारण बाघ जंगल क्षेत्र से बाहर निकल जाते हैं. इस दौरान लोगों को खासी परेशानी होती है. वहीं प्रशासन को भी कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

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दरअसल, 1213 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में सरिस्का का जंगल फैला हुआ है. एनसीआर का हिस्सा होने के कारण साल भर यहां घरेलू-विदेशी पर्यटक आते हैं. यहां आने वाले पर्यटकों को प्रतिदिन बाघों की साइटिंग होती है. इसलिए पर्यटकों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. फिल्मी सितारे, क्रिकेटर व नेता सभी की सीरीज का पहली पसंद बन रहा है. 

सरिस्का में इस समय 31 बाघ हैं. इनमें से 7 बाघ अलवर बफर रेंज में घूम रहे हैं. बफर जोन में बाघ एसटी 18, बाघिन एसटी 19 व उसके 5 शावक एक साथ घूम रहे हैं. इसके अलावा दो युवा बाघ एसटी 31 व एसटी 32 भी इस क्षेत्र में घूम रहे हैं. 31 बाघ में से 9 बाघ ऐसे हैं. जिनके पास अभी कोई टेरिटरी नहीं है. यह बाघ इधर-उधर जंगल में घूम रहे हैं. इस दौरान बाघों में आपस में संघर्ष होने का खतरा भी बना रहता है. 

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इसी तरह से सरिस्का के जंगल में चार शावक घूम रहे हैं, जिनकी कोई टेरिटरी नहीं है. बाघ अपनी टेरिटरी बनाने के लिए लगातार जंगल व उसके आसपास क्षेत्र में घूम रहे हैं. सरिस्का का एक बाघ जयपुर के जमवारामगढ़ जंगल में लंबे समय से रह रहा है. युवा बाघों की संख्या सरिस्का में बढ़ रही है. इसलिए बाघों की मॉनीटरिंग भी 24 घंटे बढ़ा दी गई है.

बनाए जा रहे हैं नए ठिकाने

वन विभाग व सरिस्का प्रशासन की तरफ से अलवर जिले में बाघों के लिए के नए ठिकाने बनाए जा रहे हैं. शहर के नजदीक लव कुश वाटिका एक पहाड़ी पर बनी हुई है. वहां कैमरे ट्रैप में पैंथर नजर आया है. साथ ही शीतल सहित अन्य वन्य जीव भी दिखाई दिए हैं. इसके अलावा जिंदोली के पास घना जंगल तैयार किया जा रहा है. उसे क्षेत्र में प्लांटेशन का काम चल रहा है वहां भी पानी के सोर्स मौजूद है व कई वन्य जीव उसे क्षेत्र में घूम रहे हैं. साथ ही जिले में कुछ अन्य जगह भी लगातार जंगल डेवलप करने का काम चल रहा है.

बनाए जा रहे हैं नए कॉरिडोर

टाइगर्स की बढ़ती मूवमेंट को देखते हुए वन विभाग की तरफ से दो से तीन नए कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं. इनमें हजारों पेड़ लगाने का काम चल रहा है. जिले के बबलूवास, प्रतापगढ़, थानागाजी, गुड़ाचुरानी सहित कई क्षेत्र को आपस में मिलाकर कॉरिडोर बनाने का काम चल रहा है.

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