
अजमेर शरीफ में मंदिर दरगाह विवाद के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से 4 जनवरी को ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर चादर पेश की जाएगी. इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से चादर पेश करना इसलिए भी ख़ास हो गया है कि अल्पसंख्यक मामलात के केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू प्रधानमंत्री की चादर लेकर आ रहे हैं. इससे पहले मोदी के पहले कार्यकाल में तत्कालीन अल्पसंख्यक मामलात के केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नकवी चादर लेकर आए थे. ग़ौरतलब है कि अजमेर दरगाह शरीफ़ भारत सरकार के केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय के अंदर ही आता है. इस बार अजमेर शरीफ का सलाना उर्स 28 दिसंबर से शुरू हो रहा है.
माना जा रहा है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के 'हर जगह मंदिर खोजने' पर कटाक्ष करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी के इस कदम से हिंदू सेना जैसे संगठनों के दरगाह शरीफ में संकट मोचक मंदिर होने जैसे विवाद पैदा करने को झटका लगेगा.
इस बार 20 दिसंबर को हुई सुनवाई में केंद्र सरकार की ओर से मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश पर जवाब देने के लिए नकल मांगने पर मुस्लिम संगठनों ने यह कहकर नाराज़गी जतायी थी कि केंद्र सरकार को याचिका ख़ारिज करने के लिए कहना चाहिए था. इस मामले में अब अगली सुनवाई 24 जनवरी को है.
उधर, हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने प्रधानमंत्री से उर्स में चादर नहीं भेजने का आग्रह किया है. विवाद को देखते हुए इस बार उर्स में सुरक्षा के और ज़्यादा चाक चौबंद इंतज़ाम किए गए हैं. पिछली बार से डेढ़ गुना फ़ोर्स तैनात होगी. रैपिड एक्शन फोर्स के 600 जवान तैनात होंगे और सीआरपीएफ भी रिजर्व में रखी गई है. 70 जवान भीड़भाड़ वाली जगहों पर बॉडी वार्न कैमरे से लैस होंगे.