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'रेपिस्टों के बाल काटकर परेड करवाऊं', बोले गहलोत, समझिए- क्यों बाल काटने को बेइज्जती से जोड़ा जाता है

दिल्ली के कंझावला मामले के दौरान देश लड़कियों पर हो रही हिंसाओं पर उबल रहा है, इस बीच राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि उनका बस चले तो वे रेपिस्टों के बाल कटवा दें. उनकी नजर में ये रेप की कड़ी सजा है. वैसे हेड शेविंग को सजा मानने वाले गहलोत अकेले नहीं, बल्कि बहुत से देशों में बाल छील देना अपमान का प्रतीक रहा.

हेड शेविंग को कई संस्कृतियों में शर्म का प्रतीक माना जाता रहा. सांकेतिक फोटो (Unsplash) हेड शेविंग को कई संस्कृतियों में शर्म का प्रतीक माना जाता रहा. सांकेतिक फोटो (Unsplash)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 07 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 7:10 AM IST

पुराने समय की फिल्में या तस्वीरें देखें तो पाएंगे कि सभी के बाल काफी लंबे होते, फिर चाहे वो पुरुष हो या स्त्री. ब्रिटिश या यूरोपियन जजों के बालों की नकल हमारी अदालतों में भी लंबे समय तक की जाती रही. रेशमी, लहरदार बालों को ऊंचे कल्चर और शाही रुतबे से जोड़ा गया. दूसरी तरफ छोटे, कतरे हुए बाल कमतर लोगों की निशानी माने जाते. ये एक तरह का ड्रेसकोड ही समझिए, जिसे फॉलो किया-करवाया जाता था. 

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आयरलैंड में कटे हुए बेतरतीब बालों को सीधा कम पढ़े-लिखे, कमजोर आर्थिक तबके से जोड़ा जाता था. यहां तक कि बालों के रंग से भी लोगों के रुतबे का अनुमान लगाया जाता. बाल अगर सुनहरे हैं तो शख्स के पास धन-दौलत होगी. अगर धूसर या कालें हों तो उससे गुलाम जैसा ही व्यवहार होता. 

महिलाओं के मामले में बाल तो लंबे होते, लेकिन उसकी वजह बदल जाती थी. यहां लंबे बाल उनके फर्टाइल होने का संकेत थे. जिस महिला के बाल जितने लंबे-सुंदर होंगे, वो शादी के बाद उतनी ही स्वस्थ संतानों को जन्म दे सकेगी. यही वजह है कि महिलाएं बालों पर खास ध्यान दिया करतीं. 

पश्चिमी देशों के अलावा एशियाई देशों में भी यही नियम था. कोरिया में पुरुष लंबे बालों का ऊपर की तरफ जूड़ा-सा बांधते. ये सम्मानीय होने का प्रतीक था. माना जाता था कि लंबे और ऊपर की तरफ बंधे बाल पुरखों को खुशी देते हैं. यही वजह है कि दिसंबर 1895 में जब जापान ने कोरियाई किंग गोजॉन्ग के बाल छीलने का आदेश दिया तो पूरा देश सहम गया. 

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हेयर रिफॉर्म के समय कोरिया में कैंची कम पड़ने पर तलवारों से बाल काटे जाने लगे. सांकेतिक फोटो (Pixabay)

इस काम के लिए जापानी बार्बर को बुलाया गया क्योंकि कोई भी कोरियाई बार्बर मुंहमांगी कीमत पर भी इसके लिए राजी नहीं था. सिर की चोटी काटने की ये सजा सार्वजनिक रूप से दी गई. इस दौरान सैनिकों से घिरे हुए दर्शक सुबक-सुबककर रो रहे थे. इसके बाद बारी-बारी से हर अधिकारी की टॉप नॉट काटी गई. 

इस दौरान कोरिया घूमने आई अंग्रेज लेखिका इजाबेल बर्थ बिशप ने लिखा था- आम लोग, जिनके लिए सामान्य दिनों में महल में आना गर्व की बात होती, वे महल से भागने की कोशिश करने लगे. बहुत से लोग अंडरग्राउंड हो गए, लेकिन ज्यादातर को खोजकर निकाला गया और बाल छील दिए गए. 

कटी हुए चोटियां लिए लोग सड़कों पर बिलख रहे थे. बहुत से लोग अपनी चोटियां हाथों में लिए हुए ऐसे जा रहे थे मानो अपने किसी परिजन का अंतिम संस्कार करने जा रहे हों. हेयर चॉपिंग को इस कदर खराब माना जाता था. 

बालों के आधार पर लोगों की नस्ल और उनके शाही या गुलाम होने का पता लग सके, इसके लिए सबकी हेयर स्टाइल भी तय कर दी गई. एंग्लो-नॉर्मन इतिहासकार ऑर्डेरिक विटलिस ने इस बारे में बताया था कि किस दर्जे के लोगों को किस तरह से बाल बांधने या काटने थे. जैसे कोई समूह बालों को कसकर गूंथता तो कोई उसे लहरदार बनवाता. गुलामों को बाल छोटे रखने होते ताकि उसके रखरखाव में ज्यादा समय न लगे. 

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15वीं सदी में जब अफ्रीकी मूल के लोगों को गुलाम बनाने का दौर शुरू हुआ, तब सबसे पहले उनके बाल काटे जाने लगे. ये इसलिए कि अफ्रीकी अपने बालों को गर्व की नजर से देखते. यहां तक कि सोशल रैंक के मुताबिक उनकी भी तरह-तरह की हेयर स्टाइल होती. तो उनके सेंस ऑफ प्राइड यानी गर्वबोध को मारने के लिए उनके बाल काटे जाने लगे. उन्हें उनके परिवार से ही अलग नहीं किया जा रहा था, बल्कि गर्व के चिन्ह बालों को भी खत्म किया जा रहा था. 

अफ्रीकी महिलाओं के साथ भी यही व्यवहार होने लगा. अमानवीय हालातों में काम करते इन दासों को न ढंग से खाने मिलता, न नहाने. इससे उनके सिर में कई तरह की स्किन डिसीज भी दिखने लगी. इसी समय हेडरैप यानी सिर के ऊपर कपड़ा बांधने का चलन आया ताकि बालों की खराब कंडीशन छिप सके. अफ्रीकी-अमेरिकी मूल की औरतें अब भी सिर पर कपड़ा बांधती हैं तो ये किसी फैशन के चलते नहीं, बल्कि अपने पुरखों की याद में. 

ऐसे कितने ही वाकये दुनिया के बहुतेरे देशों के इतिहास में हुए. यहां तक कि मॉर्डन दुनिया में भी हो रहे हैं. अगर भारत की बात करें तो कई मामले मिलते हैं, जहां सजा के तौर पर किसी के बाल छील दिए गए. हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ, जो कथित तौर पर यूपी के जौनपुर से है. इसमें युवती से छिपकर मिलने आए प्रेमी को मारपीटकर गांववालों ने उसके बाल छीन दिए.

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कुछ समय पहले एक मामले ने पुलिसकर्मियों को परेशान कर दिया, जिसमें युवक ने पड़ोसी पर अपनी पत्नी के बाल छीलने का आरोप लगाया. चोटी काटने पर कौन सी धारा लगेगी, इसपर माथापच्ची के बाद तय हुआ कि ये स्त्री के सम्मान पर चोट है इसलिए आईपीसी की धारा 509 लगाई जाए. वैसे हेड शेविंग को शोक प्रदर्शन की तरह भी देखा जाता है, लेकिन वो एक अलग मामला है. 

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