
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब नए संसद भवन में विशालकाय अशोक स्तंभ का अनावरण किया था, तो विपक्ष ने शेरों के खुले मुंह को लेकर जमकर बवाल काटा. कांग्रेस तक ने दावा कर दिया कि इस अशोक स्तंभ के शेर गुस्से में दिखाई देते हैं. अब जिस मूर्तिकार ने अपनी कला के बलबूते उस अशोक स्तंभ को बनाया था, राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने उसका सम्मान किया है. राज्य सरकार की तरफ से मूर्तिकार लक्ष्मण व्यास को ललित कला अकादमी का अध्यक्ष बनाया गया है.
कांग्रेस ने जिसका किया विरोध, गहलोत कर रहे सम्मान
अब बड़ी बात ये है कि पिछले महीने तक खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस विशालकाय अशोक स्तंभ की डिजाइन पर सवाल उठा रहे थे, वे इसे मूल स्वरूप से छेड़छाड़ बता रहे थे. लेकिन मंगलवार को नजारा तब बदल गया जब उन्हीं की सरकार ने मूर्तिकार लक्ष्मण व्यास का इतना सम्मान किया, उन्हें राज्य मंत्री तक का दर्जा दिया गया. ये वहीं लक्ष्मण व्यास हैं जिनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जमकर तारीफ थी, जिनकी तारीफ में बीजेपी ने लगातार पुल बांधे थे.
विशालकाय अशोक स्तंभ की खासियत
अभी तक बीजेपी या फिर कांग्रेस ने इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. लेकिन राजस्थान सरकार के इस बदले हुए रूप ने लोगों को जरूर सोचने पर मजबूर कर दिया है. विशालकाय अशोक स्तंभ की बात करें तो उसका वजन 9500 किलोग्राम है जो कांस्य से बनाया गया है. इसके सपोर्ट के लिए करीब 6500 किलोग्राम वजन वाले स्टील की एक सहायक संरचना का भी निर्माण किया गया है. इस अशोक स्तंभ चिन्ह को आठ चरणों की प्रक्रिया के बाद तैयार किया गया है. लेकिन विपक्ष द्वारा जो मुद्दे उठाए जा रहे हैं, उसमें सबसे प्रमुख शेरों के मुंह वाला मुद्दा है. कहा गया है कि नए संसद भवन की छत पर लगे अशोक स्तंभ के शेर गुस्से वाले हैं, उनका मुंह ज्यादा खुला हुआ है. वहीं सोमनाथ में जो अशोक स्तंभ है, उसके शेर के मुंह इतने नहीं खुले और वो शांत दिखाई पड़ते हैं.