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बाबा बालकनाथ ने छोड़ी लोकसभा की सदस्यता, राजस्थान के CM दावेदारों में नाम की है चर्चा

राजस्थान के अलवर से भाजपा के सांसद बाबा बालकनाथ ने अपनी लोकसभा की सदस्यता छोड़ दी है. उन्होंने आज लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात कर उन्हें अपना इस्तीफा सौंपा. 

बाबा बालकनाथ ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. बाबा बालकनाथ ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है.
हिमांशु मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 07 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:33 PM IST

राजस्थान के अलवर से भाजपा के सांसद बाबा बालकनाथ ने अपनी लोकसभा की सदस्यता छोड़ दी है. उन्होंने आज लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात कर उन्हें अपना इस्तीफा सौंपा. बता दें कि भाजपा ने बाबा बालकनाथ को इस बार अलवर की तिजारा सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ाया था और वह कांग्रेस प्रत्याशी इमरान खान को हराकर विधायक चुने गए थे. राजस्थान के मुख्यमंत्री दावेदारों में उनके नाम की जोर शोर से चर्चा है. इससे पहले राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधायकी का चुनाव जीतने वाले सभी भाजपा सांसदों ने कल ओम बिरला को अपना इस्तीफा सौंप दिया था. 

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महंत बालकनाथ योगी बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय (BMU) के चांसलर हैं. वह हिंदू धर्म के नाथ संप्रदाय के 8वें महंत भी हैं. 29 जुलाई 2016 को, महंत चांदनाथ ने एक समारोह में बालकनाथ योगी को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था, जिसमें उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बाबा रामदेव भी शामिल हुए थे. उनका जन्म बहरोड़ तहसील के कोहराना गांव में एक यदुवंशी हिंदू परिवार में हुआ था, बालकनाथ योगी की जड़ें अलवर में गहराई से जुड़ी हुई हैं. उन्होंने साढ़े छह साल की उम्र में संन्यास लेने का फैसला किया और अपना घर छोड़कर आश्रम में चले गए थे.

नाथ संप्रदाय क्या है, जिससे राजस्थान के फायरब्रांड नेता बाबा बालकनाथ का है नाता, कितना मुश्किल है इसमें शामिल होना

कम उम्र में बाबा खेतानाथ ने उनका नाम गुरुमुख रखा था. वह 1985-1991 तक (6 वर्ष की आयु तक) मत्स्येंद्र महाराज आश्रम में रहे, उसके बाद वह महंत चांदनाथ के साथ हनुमानगढ़ जिले के नाथावली थेरी गांव में एक मठ में चले गए. महंत बालकनाथ योगी की राजनीतिक पारी को उनके गुरु महंत चांदनाथ, जो अलवर से पूर्व सांसद थे, ने आकार दिया. अपने गुरु के नक्शेकदम पर चलते हुए, बालकनाथ योगी उनके उत्तराधिकारी के रूप में हरियाणा में बाबा मस्तनाथ मठ के प्रमुख बने. उन्हें 2019 में राजस्थान के अलवर से लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया. बाबा बालकनाथ ने कांग्रेस के भंवर जितेंद्र सिंह को 3 लाख वोटों के अंतर से हराकर चुनाव जीता.

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बाबा बालकनाथ के समर्थक उन्हें 'राजस्थान का योगी' भी कहकर संबोधित करते हैं. उनकी छवि राजस्थान के एक फायरब्रांड नेता की है, जो 'हिंदू और हिंदुत्व' की बात करते हैं. वह चुनाव के लिए नामांकन और कई जगहों पर प्रचार करने बुलडोजर से भी गए. उनका उत्तर प्रदेश के मुख्समंत्री योगी आदित्यनाथ से खास रिश्ता भी है. दरअसल, बाबा बालकनाथ उसी नाथ संप्रदाय से आते हैं, योगी आदित्यनाथ​ जिसके वर्तमान प्रमुख हैं. योगी आदित्यनाथ नाथ संप्रदाय के सबसे बड़े मठ गोरक्षनाथ पीठ के महंत भी हैं. बालकनाथ नाथ नाथ संप्रदाय के आठवें संत हैं. राजस्थान में इस बात की चर्चा है कि भाजपा बाबा बालकनाथ के लिए राज्य में कुछ बड़ा सोच रही है. सांसदी से उनके इस्तीफे ने इन चर्चाओं को और हवा दे दी है.

भाजपा ने 21 सांसदों को दिया था विधानसभा चुनाव का टिकट

बीजेपी ने हाल में समाप्त हुए विधानसभा चुनावों में 21 सांसदों को मैदान में उतारा था. भगवा पार्टी ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में 7-7, छत्तीसगढ़ में 4 और तेलंगाना में 3 सांसदों को विधानसभा का चुनाव लड़ाया था. इनमें से 12 विधायकी का चुनाव जीत गए, जबकि 9 को हार का सामना करना पड़ा. मध्य प्रदेश में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते, सांसद राकेश सिंह, गणेश सिंह, रीति पाठक और राव उदय प्रताप सिंह को चुनावी मैदान में उतारा गया था. इनमें तोमर, पटेल, राकेश सिंह, रीति पाठक और राव उदय प्रताप सिंह चुनाव जीत गए. कुलस्ते और गणेश सिंह चुनाव हार गए.

जीते हुए सभी 12 सांसदों का लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा

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राजस्थान में भाजपा ने अपने लोकसभा सांसदों राज्यवर्धन सिंह राठौड़, दीया कुमारी, बाबा बालकनाथ, देव जी पटेल, नरेंद्र कुमार, भागीरथ चौधरी और राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा को विधायकी के चुनाव में उतारा था. इनमें राठौड़, दीया कुमारी, बाबा बालकनाथ और किरोड़ी लाल मीणा चुनाव जीतने में सफल रहे, जबकि देव जी पटेल, नरेंद्र कुमार और भागीरथ चौधरी को हार का सामना करना पड़ा. छत्तीसगढ़ में केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह, गोमती साय, अरुण साव और विजय बघेल ने चुनाव लड़ा. इनमें विजय बघेल चुनाव हार गए. वहीं, तेलंगाना में बीजेपी ने बंडी संजय कुमार, अरविंद धर्मापुरी और सोयम बापूराव को चुनाव मैदान में उतारा. ये तीनों चुनाव हार गए. जीते हुए सभी सांसदों को भाजपा ने लोकसभा से इस्तीफा दिलवाया है.

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