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राजस्थान: 60 करोड़ साल पहले गिरा था उल्कापिंड, हो गया था विशाल गड्ढा, अब बनेगा पर्यटन स्थल

राजस्थान में स्थित रामगढ़ क्रेटर को पर्यटन क्षेत्र के रूप में डेवलप किया जाएगा. इसके लिए तीन विभागों को जिम्मेदारी दी गई है. करोड़ों का बजट इस काम के लिए सरकार ने दिया है. बता दें कि रामगढ़ क्रेटर की खोज साल 1869 में की गई थी. यह 60 करोड़ साल पहले उल्कापिंड गिरने से बना था.

राजस्थान के बारां जिले में स्थित रामगढ़ क्रेटर. (Photo: Twitter @ShuklaaG) राजस्थान के बारां जिले में स्थित रामगढ़ क्रेटर. (Photo: Twitter @ShuklaaG)
aajtak.in
  • जयपुर,
  • 21 मई 2023,
  • अपडेटेड 2:03 PM IST

राजस्थान के बारां जिले में स्थित रामगढ़ गड्ढा 60 करोड़ साल पुराना माना जाता है. इस जगह को जल्द ही पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा. अधिकारियों ने बताया कि रामगढ़ क्रेटर देश का तीसरा और राज्य का पहला क्रेटर है. इसके अलावा महाराष्ट्र में लूनर क्रेटर और मध्य प्रदेश में ढाला क्रेटर हैं. अधिकारियों ने कहा कि योजना के लागू होने के बाद राजस्थान पर्यटन विभाग को हर साल 30 हजार से 40 हजार पर्यटकों के आने की उम्मीद है.

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राजस्थान के रामगढ़ क्रेटर को 57.22 करोड़ रुपये की लागत से पर्यटन स्थल के रूप में तैयार किया जाएगा. यहां काम शुरू कर दिया गया है. इसमें झील का सौंदर्यीकरण, बुनियादी ढांचे के विकास और साइट के आसपास अन्य सजावटी कार्य शामिल हैं.

अधिकारियों ने कहा कि पर्यटन विभाग यहां शानदार सड़क, एक सूचना केंद्र, एक नॉलेज केंद्र और एक कैफेटेरिया तैयार कर रहा है. इसके अलावा गार्डन और ग्रीन एरिया, एक घाट का निर्माण, एक प्रवेश द्वार और साइन बोर्ड, के साथ ही ड्रिप सिंचाई का काम प्रस्तावित है.

वन विभाग ने रामगढ़ क्षेत्र को घोषित किया है रिजर्व एरिया

पर्यटन विभाग की निदेशक रश्मि शर्मा ने कहा, कि आने वाले दिनों में भू-विज्ञान पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए काम शुरू हो रहा है. रामगढ़ क्रेटर देश में एक पर्यटन स्थल के रूप में उभरेगा. यह स्थल भू-विज्ञान, पुरातत्व और इतिहास के प्रतीक के रूप में है. वन विभाग द्वारा रामगढ़ क्षेत्र को रिजर्व एरिया घोषित किया गया है. इस क्षेत्र के विकास के लिए पर्यटन, वन विभाग और लोक निर्माण विभाग मिलकर काम कर रहे हैं.

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साल 1869 में खोजा गया था रामगढ़ क्रेटर

द सोसाइटी ऑफ अर्थ साइंटिस्ट्स के महासचिव सतीश त्रिपाठी ने कहा कि बारां जिले की मांगरोल तहसील से 12 किमी दूर यह क्रेटर साल 1869 में खोजा गया था. माना जाता है कि 3.5 किलोमीटर व्यास वाले इस क्रेटर का निर्माण 60 करोड़ साल पहले अंतरिक्ष से एक उल्कापिंड के गिरने के बाद हुआ था.

भू-विरासत के 200वें क्रेटर के रूप में मिली है मान्यता

रामगढ़ क्रेटर को विश्व भू-विरासत के 200वें क्रेटर के रूप में मान्यता दी गई है. त्रिपाठी ने कहा कि वैज्ञानिक रूप से यहां एक उल्कापिंड गिरा था. उल्कापिंड के प्रभाव से उत्पन्न ऊर्जा रेत को पिघला देती है और कांच बन जाती है. क्रेटर में सामान्य से अधिक मात्रा में लोहा, निकल और कोबाल्ट मिला है. कई क्षुद्रग्रहों में भी ये तत्व बड़ी मात्रा में हैं.

इसी इलाके में है खजुराहो शैली का 10वीं शताब्दी का मंदिर 

उप निदेशक पर्यटन दलीप सिंह राठौड़ ने कहा कि खजुराहो शैली का 10वीं शताब्दी का शिव मंदिर रामगढ़ क्रेटर की परिधि पर स्थित है. इसे 'मिनी खजुराहो' के नाम से जाना जाता है. इस संरचना में दो झीलें हैं, जिनमें प्रवासी पक्षी आते रहते हैं. 950 साल पुराने देवी मंदिर के साथ कई प्राचीन मंदिर और केलपुरी समाधि स्थल भी यहां है. यहां चीतल, हिरण और जंगली सूअर भी पाए जाते हैं. यह क्षेत्र पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा.

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(एजेंसी)

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