
2018 में बसपा से चुनाव जीतकर गहलोत सरकार में शामिल विधायक इस बार कांग्रेस के टिकट पर ही चुनाव लड़ना चाहते हैं. इसके लिए वे आवेदन भी कर चुके हैं और उनको उम्मीद है कि कांग्रेस के टिकट उनके लिए पक्के हैं. दरअसल, भरतपुर जिले में सात विधानसभा सीट हैं, जिनमें नदबई और नगर विधानसभा सीट से बसपा चुनाव जीतकर आई थी. नगर से बसपा के वाजिब अली और नदबई से जोगेंद्र सिंह अवाना 2018 में विधानसभा चुनाव जीतकर आये थे.
चुनाव जीतने के बाद दोनों ने ही बसपा को छोड़कर कांग्रेस का दामन थामकर सरकार में शामिल हो गए थे. हालांकि अभी कांग्रेस द्वारा प्रत्याशियों की सूची जारी नहीं की गई है, लेकिन अब दोनों ही बसपा के विधायक कांग्रेस के सिंबल पर ही चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. वे ना तो सीट बदलना चाहते हैं और ना ही कांग्रेस के अलावा किसी अन्य पार्टी में जाना चाहते हैं.
नगर से बसपा विधायक जो कांग्रेस में शामिल हुए वाजिब अली का कहना है कि बसपा के टिकट पर चुनाव जीतकर आये और कांग्रेस सरकार को समर्थन देकर सरकार का साथ दिया. पांच वर्षों से मैंने नगर विधानसभा में पूरी मेहनत की है और विकास कार्य किये हैं. इसलिए में कांग्रेस की टिकट पर ही चुनाव लड़ने जा रहा है और नगर विधानसभा सीट से ही. इस क्षेत्र से मेने चुनाव जीता और काम किए, इसलिए इस सीट से ही चुनाव लडूंगा ना कि सीट बदलूंगा.
वहीं नदबई विधानसभा से बसपा के टिकट पर चुनाव जीतकर कांग्रेस में शामिल हुए जोगेंद्र सिंह अवाना का कहना है कि मैं सिर्फ कांग्रेस के टिकट पर ही चुनाव लडूंगा. चुनाव सिर्फ नदबई से ही लडूंगा और कांग्रेस से मेरी टिकट पक्की है. यदि एक प्रतिशत कांग्रेस मुझे टिकट नहीं देती है, तो मैं फिर चुनाव नहीं लडूंगा.
दूसरी तरफ आजाद समाज पार्टी ने राजस्थान में 6 प्रत्याशी घोषित किये हैं, जिनमें भरतपुर की नगर विधानसभा सीट से नेम सिंह को प्रत्याशी बनाया है. नेम सिंह नगर से तीन बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं. 2018 में वह दूसरे नंबर पर आये थे. बसपा के वाजिब अली चुनाव जीते थे. बीजेपी तीसरे नंबर पर और कांग्रेस चौथे नंबर पर रही थी. भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर की पार्टी आजाद समाज पार्टी से दलित वोट यदि नेम सिंह को मिल जाते है तो वह ज्यादा मजबूती के साथ उभर सकते हैं, जो बीजेपी और कांग्रेस का गणित बिगाड़ सकता है.