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नागौर में दलित सरपंच को तुगलकी फरमान, दबंगों ने एक पैर पर खड़े रहने की दी सजा

राजस्थान के नागौर में गांव के दबंगों ने एक सरपंच को तुगलकी फरमान सुनाया है. भाई द्वारा किसी और की हत्या किए जाने पर गांव के दबंगों ने सरपंच और उसके परिवार का हुक्का पानी बंद कर दिया और उसे एक पैर पर खड़े रहने की सजा दी. अब सरपंच ने आरोपियों के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज करा दी है.

दबंगों ने सरपंच को दी तुगलकी सजा दबंगों ने सरपंच को दी तुगलकी सजा
केशाराम गढ़वार
  • नागौर,
  • 25 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:44 PM IST

राजस्थान के नागौर में दलित सरपंच और उसके परिवार को गांव के पंचों ने मिलकर एक तुगलकी फरमान सुना दिया. गांव के पंचों ने सरपंच और उसके परिवार का हुक्का पानी भी बंद कर दिया और एक पैर पर खड़े रहने की सजा दी. 

नागौर पुलिस ने पीड़ित की रिपोर्ट पर 6-7 नामजद लोगों को गिरफ्तार किया है. इतना ही नहीं भरी पंचायत में सरपंच को एक पैर पर खड़ा रखा गया. पंचों का कहना था कि उनके भाई ने हत्या की है इसलिए उन्हें यह सजा दी जा रही है. 

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उनसे कहा गया कि अगर उन्हें समाज में और गांव में रहना है तो 50000 का जुर्माना भी देना पड़ेगा. इस पूरे मामले का तीन वीडियो दो दिनों से सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. पीड़ित सरपंच ने पांचौड़ी थाने में 12 दिसंबर को मामला दर्ज करवाया है.

वहीं आपको बता दें कि यह पूरा मामला नागौर जिले के खींवसर पंचायत समिति का है. दांतीणा गांव के पंचों ने दांतीणा की पंचायत में एक सभा का आयोजन किया और इस तरह की तालिबानी सजा उन्हें दी गई.

इस बैठक में दांतिणा गांव के सरपंच श्रवण राम मेघवाल के भाई मूलाराम पर हत्या का आरोप लगाते हुए पूर्व सरपंच ने अन्य पंचों से मिलकर इस तरह का तुगलकी फरमान सुनाया. 

पीड़ित सरपंच ने क्या कहा?

इस फरमान के खिलाफ सरपंच श्रवण राम मेघवाल ने कहा कि जीतू सिंह की हत्या से मेरा कोई लेना देना नहीं है अगर उसका भाई मूलाराम दोषी है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो रही है. लेकिन इस पंचायत में सरपंच की एक भी बात नहीं सुनी गई और तुगलकी फरमान सुना दिया गया.

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पीड़ित श्रवण राम ने पंचायत के फैसले को लेकर कहा कि इस पंचायत में शेराराम, रामूराम, उमाराम, लूणाराम , श्रवणराम, उमा राम, प्रहलाद,  प्रताप राम ने कहा कि हम सभी लोग अपने आप में स्वयंभू पंच है.

उन्होंने कहा, इन लोगों ने मुझे बहुत तंग किया और परेशान किया साथ ही गाली गलौज कर शारीरिक और मानसिक कष्ट भी दिया है. सरपंच और उसके परिवार को गांव समाज से बहिष्कार करने का फरमान भी जारी कर दिया गया. सरपंच ने कहा कि जब उन्होंने इस सजा का विरोध किया तो उन्हें डराया, धमकाया जाने लगा और मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ले आए. पुलिस इस मामले की जांच में जुटी हुई है.


 

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