
अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने कई मुद्दों को लेकर उदयपुर में तीन दिनों के चिंतन शिविर का आयोजन किया. पार्टी की ओर से छह विषयों पर मंथन के लिए छह समूहों का गठन किया था. हर समूह में कांग्रेस के नेताओं ने अपने सुझाव और विचार व्यक्त किए. इसके बाद सभी समूहों ने अपने मंथन की विस्तृत रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप दी.
समूहों के अंदर हाल में हुए चुनावों में अपेक्षाकृत परिणाम न आना, संगठन की खामियों और उसमें जरूरी बदलाव करने, जमीनी जुड़ाव को मजबूत करने पर गहन मंथन किया. कमियों पर भी चर्चा हुई, अलग-अलग विचारों पर मंथन हुआ और फिर पार्टी की बेहतरी के लिए कई सुझाव दिए गए.
संगठन के कार्यकर्ता ही असली ताकत
संगठनात्मक स्तर पर कांग्रेस की निर्णायक भूमिका निभाने के लिए मंथन हुआ. मंथन का सारांश ये है कि अगले 90 से 180 दिनों में देशभर में ब्लॉक स्तर, जिला स्तर, प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर सभी रिक्त नियुक्तियों को पूरा कर उनकी जवाबदेही सुनिश्चित की जाए. संगठन को प्रभावी बनाने के लिए ब्लॉक कांग्रेस के साथ-साथ मंडल कांग्रेस कमिटियों का भी गठन किया जाए. कांग्रेस संगठन में राष्ट्रीय स्तर पर तीन नए विभागों का गठन किया जाए.
पहला- 'पब्लिक इनसाईट डिपार्टमेंट', ताकि अलग-अलग विषयों पर जनता के विचार जानने और नीति निर्धारण के लिए 'तर्कसंगत फीडबैक' कांग्रेस नेतृत्व को मिल पाए.
दूसरा- 'राष्ट्रीय ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट' का गठन हो, ताकि पार्टी की नीतियों, विचारधारा, दृष्टि, सरकार की नीतियों व मौजूदा ज्वलंत मुद्दों पर पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण हो पाए. केरल स्थित 'राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज़' से इस राष्ट्रीय ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की शुरुआत की जा सकती है.
तीसरा- अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के स्तर पर 'इलेक्शन मैनेजमेंट डिपार्टमेंट' का गठन किया जाए, ताकि हर चुनाव की तैयारी प्रभावशाली तरीके से हो व अपेक्षित परिणाम निकले.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव (संगठन) के तहत अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी प्रदेश कांग्रेस कमेटी, जिला कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारियों के कार्य का मूल्यांकन भी हो, ताकि बेहतरीन काम करने वाले पदाधिकारियों को आगे बढ़ने का मौका मिले और निष्क्रिय पदाधिकारियों की छंटनी हो पाए.
एक परिवार एक टिकट पर सहमति
पार्टी में लंबे समय तक एक ही व्यक्ति के पद पर बने रहने के बारे कई विचार सामने आए. तय किया गया कि संगठन में 5 सालों से अधिक कोई भी व्यक्ति एक पद पर न रहे, ताकि नए लोगों को मौका मिल सके.
कांग्रेस कार्यसमिति, राष्ट्रीय पदाधिकारियों, प्रदेश, जिला, ब्लॉक व मंडल पदाधिकारियों में 50 प्रतिशत पदाधिकारियों की आयु 50 वर्ष से कम हो. राष्ट्रीय, प्रदेश, जिला, ब्लॉक व मंडल संगठनों की इकाईयों में दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों व महिलाओं को प्रतिनिधित्व मिले. यदि किसी के परिवार में दूसरा सदस्य राजनीतिक तौर से सक्रिय है, तो पांच साल के संगठनात्मक अनुभव के बाद ही वह व्यक्ति कांग्रेस टिकट के लिए पात्र माना जाए.
हर प्रांत के स्तर पर अलग-अलग विषयों पर चर्चा करने व निर्णय के लिए एक 'पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी' का गठन किया जाए. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी व प्रदेश कांग्रेस कमिटियों का साल में एक बार सत्र आयोजित हो. इसी प्रकार, जिला, ब्लॉक व मंडल कमिटियों की बैठक नियमित रूप से आयोजित की जाए. आजादी के 75वर्ष पूरे होने पर हर जिला स्तर पर 9 अगस्त से 75 किलोमीटर लंबी पदयात्रा का आयोजन हो, जिसमें स्वतंत्रता संग्राम के लक्ष्यों व त्याग तथा बलिदान की भावना प्रदर्शित हो.
बदलते परिवेश में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मीडिया व संचार विभाग के अधिकार क्षेत्र, कार्यक्षेत्र व ढांचे में बदलाव किया जाए. मीडिया, सोशल मीडिया, डाटा, रिसर्च, विचार विभाग आदि को संचार विभाग से जोड़ विषय विशेषज्ञों की मदद से और प्रभावी बनाया जाए. प्रदेशों के सभी मीडिया, सोशल मीडिया, रिसर्च आदि विभागों का अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के संचार विभाग के अंतर्गत रख सीधा जुड़ाव बने, ताकि पार्टी का संदेश प्रतिदिन देश के हर कोने-कोने में फैल सके.
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