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कर्नाटक सुलह के बाद कांग्रेस का राजस्थान प्लान, पार्टी टूटेगी या बचेगी?

काफी मशक्कत के बाद कांग्रेस ने कर्नाटक का मामला सुलझा लिया है. अब पार्टी के सामने राजस्थान संकट को सुलझाने की चुनौती है, जहां प्रमुख नेता सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार के मुखिया अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

राजस्थान में सचिन पायलट ने खोल रखा है गहलोत के खिलाफ मोर्चा राजस्थान में सचिन पायलट ने खोल रखा है गहलोत के खिलाफ मोर्चा
शरत कुमार
  • जयपुर,
  • 18 मई 2023,
  • अपडेटेड 2:52 PM IST

कर्नाटक में कांग्रेस का घर का झगड़ा सुलझने के बाद अब सबकी नजरें राजस्थान पर टिकी हैं. क्या सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार की तरह कांग्रेस आलाकमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट को साथ लाने में सफल हो पाएगा? सचिन पायलट रैली में गहलोत के खिलाफ मैदान में उतरने का ऐलान कर अपने इरादे साफ कर चुके हैं. वहीं शुरू से सचिन पायलट पर बीजेपी से मिले होने के आरोप लगाकर घेरते रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी अपने मंत्रियों-विधायकों के जरिए सचिन पायलट पर हमला बुलवाना शुरू कर दिया है.

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सोनिया गांधी कराएंगी सुलह!

कहा जा रहा है कि डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया में सुलह जिस तरह से सोनिया गांधी के डीके शिवकुमार के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बाद संभव हो पाया है, उसी तरह राजस्थान में भी सोनिया गांधी हीं सचिन पायलट को मना सकती हैं. सचिन पायलट ने अपनी यात्रा में और सभा में कांग्रेस की एक मात्र नेता सोनिया गांधी की तस्वीर लगा रखी थी. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष गहलोत, पायलट के झगड़े से पहले हीं पल्ला झाड़ चुके हैं कि जो फैसला होगा मैडम को हीं करना है.

वहीं लोग कह रहे हैं कि दोनों में समझौते के लायक गुंजाइश बची भी है क्या. गहलोत किसी भी सूरत में सचिन पायलट को पार्टी में रखने के पक्ष में नही है और जल्दी से जल्दी कारर्वाई चाहते हैं. मगर कांग्रेस में बहुत सारे विधायक ऐसे हैं जो चाहते हैं कि दोनों नेता कांग्रेस में बने रहें ताकि पावर औफ बैंलेंस बना रहे और पार्टी टूटे नहीं.

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सचिन पायलट को दिए जा सकते हैं ये ऑफर

1- कहा जा रहा है कि सचिन पायलट के पास दिल्ली आकर महासचिव बनने का आफर है. इसके लिए वो तैयार नहीं है मगर भविष्य में राजस्थान की राजनीति में वापस महत्वपूर्ण पद देकर मनाया जा सकता है.
2- राजस्थान में प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया जाए और इनके कुछ लोगों को मंत्रिमण्डल में रखा जाए.
3- कैंपेन कमेटी का चेयरमैन बनाकर चुनाव में चेहरा बनाया जाए.

पायलट बना सकते हैं नई पार्टी

अगर ऐसा नहीं होता है तो सचिन पायलट मानने के लिए तैयार नही हैं और जून के दूसरे हफ्ते में वो 15 दिन का अल्टीमेटम खत्म होने के बाद अपनी पार्टी बनाकर मैदान में उतर सकते हैं. दूसरी तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि सचिन पायलट पार्टी में रहकर ज्यादा नुकसान कर सकते हैं. इसलिए उन्हें निकाला जाए. अगर वो जल्दी पार्टी से जाते हैं तो हम नुकसान की भरपाई कर पाएंगे.

गहलोत को लगता है कि सचिन पायलट के साथ केवल उनकी जाति गुर्जर हीं जाएंगे. हालांकि पायलट की सभा में जाटों की भारी भीड़ देखकर गहलोत गुट ने चार जाट नेताओं की मीटिंग तस्वीर जारी करवाई है, जिसमें प्रदेशअध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, मंत्री रामलाल जाट, विधायक चेतन डूडी और एक पदाधिकारी शामिल है. ये तस्वीर और वीडियो प्रदेश अध्यक्ष के यहां से क्यों जारी हुई है ये नहीं लिखा है, जिसके मायने निकाले जा रहे हैं.

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पायलट कर रहे हैं इंतजार

गहलोत के साथ राजस्थान के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे बताए जा रहे हैं, जबकि गांधी परिवार चाहता है कि सचिन पायलट कांग्रेस छोड़कर नहीं जाए. सचिन पायलट फिलहाल दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. माना जा रहा है कि वो कर्नाटक चुनाव के बाद राजस्थान को लेकर कांग्रेस आलाकमान के फैसले का इंतजार कर रहे हैं.

 

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