
शादियों के दौरान आपने कई तस्वीरें देखी होंगी, जिसमें दूल्हा हेलीकॉप्टर से पहुंचता है तो कोई लग्जरी गाड़ी से बारात लेकर पहुंचता है. वहीं दौसा के लालसोट में एक शादी चर्चा का विषय बनी हुई है. इस शादी में बारात बैलगाड़ी से दुल्हन के घर पहुंची. इसे देखने के लिए काफी संख्या में ग्रामीण पहुंचे.
दूल्हे के पिता प्रहलाद मीणा गुजरात के अहमदाबाद में बिजनेस करते हैं. दुल्हन के परिवार को उम्मीद थी कि दूल्हा शानदार गाड़ियों से पहुंचेगा और बारातियों के लिए भी विशेष गाड़ियां होंगी, लेकिन जब बारात बैलगाड़ी से पहुंची तो सभी देखते रह गए.
दरअसल, रामगढ़ पचवारा क्षेत्र के अमराबाद निवासी भामाशाह प्रहलाद मीना ने अपने बेटे विनोद की बारात बैलगाड़ियों, ऊंट व घोड़ों पर निकाली. ये शादी आसपास के इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है. ऑर्केस्ट्रा की चमक-धमक से दूर पारंपरिक अंदाज में ऊंट और बैलगाड़ियों से बाराती पहुंचे. बारात के लिए ऊंटों और बैलों को सजाया गया.
जब बारात सड़क पर निकली तो लोग देखते ही रह गए. आठ ऊंटगाड़ियां, 7 बैलगाड़ियां, 10 ऊंट व 10 घोड़ों पर बाराती सवार थे. इस दौरान बारातियों का उत्साह देखते ही बन रहा था. बारात को अमराबाद से रायमलपूरा पहुंचने में तीन घंटे लगे. दूल्हा बैलगाड़ी पर सवार था. साथ में डीजे बज रहा था. बाराती ऊंट गाड़ियों पर नाचते गाते हुए चल रहे थे.
बताया जा रहा है कि शादी में विनोद के परिजनों ने सिर्फ एक नारियल और एक रुपया लेकर शादी कर ली. सारे जेवरात भी खुद ही लेकर पहुंचे. विनोद ने बताया कि समाज में दहेज की बड़ी समस्या है. इस परंपरा को तोड़कर एक अच्छी शुरुआत करेंगे.
दूल्हे के पिता बोले- पहले बैलगाड़ी पर ही आती थी बारात, इसीलिए हमने परंपरा निभाई
दूल्हे के पिता प्रहलाद मीणा ने कहा कि हम किसान परिवार से आते हैं और किसानों के बीच पशुओं का महत्व है. पहले बैलगाड़ी पर ही बारात आती-जाती थी. समय के साथ अब सबकुछ बदल गया है. इसलिए इस परंपरा को युवाओं में वापस लाने के लिए यह पहल की है. दुल्हन ने कहा कि सुनते थे कि पहले के जमाने में बारात बैलगाड़ी पर आती थी. आज जब मेरी शादी में बाराती बैलगाड़ी से आए तो हमें बहुत अच्छा लगा. दूर-दूर से लोग बारातियों को देखने आए.