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सब्जी मंडियों में बिक रही जानलेवा सब्जियां, खुलासे के बावजूद नहीं हो सकती कार्रवाई, ये है वजह

फूडलैब की जांच में कई हरी सब्जियों में घातक केमिकल मिले हैं. पालक, फूल गोभी, पत्ता गोभी, टिंडा, मूली, बैंगन और पत्ते वाले लहसुन में कैडमियम जैसे हैवी मेटल मिले हैं, जो फेफड़ों और घुटनों के लिए काफी खतरनाक हैं. इसी तरह आलू, गाजर और हरी मिर्च में लेड मिला है, जिससे खून की कमी होती है और किडनी-लिवर पर बुरा असर पड़ता है.

हरी सब्जियों के नाम पर बेचा जा रहा जहर. (प्रतीकात्मक तस्वीर) हरी सब्जियों के नाम पर बेचा जा रहा जहर. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
विशाल शर्मा
  • जयपुर ,
  • 28 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 2:05 PM IST

सब्जी मंडियों में हरी पत्तेदार सब्जियां देखकर आप भी उन्हें लंच और डिनर में खाना पसंद करेंगे. लेकिन अगर यही हरी सब्जियां आपकी सेहत बनाने की जगह बिगाड़ने का काम करें तो आप क्या करेंगे? ऐसा हो रहा है राजस्थान के जयपुर की सब्जी मंडियों में. जहां हरी सब्जियों के नाम पर जहरीली सब्जियां बेची जा रही हैं, जो आम जनता की सेहत के साथ बड़ा खिलवाड़ है.

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जी हां, जयपुर की सबसे बड़ी मुहाना मंडी हो या फिर लालकोठी सब्जी मंडी, इन सभी जगहों पर आपको सस्ते दामों पर चमकदार और अच्छी दिखने वाली पत्ता गोभी, पालक, बैंगन, हरी मिर्च, ककड़ी सहित अन्य हरी पत्तेदार सब्जियां दिखती हैं और आपका भी मन लालायित हो उठता है, तो जरा सावधान हो जाएं. क्योकि जयपुर की इन मंडियों में सब्जियों के नाम पर जहर बेचा जा रहा है. यह हम नहीं कह रहें, बल्कि फूड सेफ्टी एंड ड्रग कंट्रोल द्वारा कराई गई सैंपलिंग की जांच में इसका खुलासा हुआ है.

फूडलैब की जांच में कई हरी सब्जियों में घातक केमिकल मिले हैं.  पालक, फूल गोभी, पत्ता गोभी, टिंडा, मूली, बैंगन और पत्ते वाले लहसुन में कैडमियम जैसे हैवी मेटल मिले हैं, जो फेफड़ों और घुटनों के लिए काफी खतरनाक हैं. इसी तरह आलू, गाजर और हरी मिर्च में लेड मिला है, जिससे खून की कमी होती है और किडनी-लिवर पर बुरा असर पड़ता है. इसलिए सब्जियों को मंडी से घर लाने के बाद थोड़ी देर धूप में रखें और फिर उन्हें धो कर ही सेवन करें.

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विशेषज्ञों के अनुसार, सब्जियों के एक से अधिक नमूने भी नहीं लिए जा सकते हैं. यहीं नहीं, सब्जियों में पेस्टीसाइड और हैवी मेटल की जांच तो कर सकते हैं, लेकिन जहरीली सब्जियां पकड़े जाने पर कार्रवाई भी नहीं कर सकते हैं. क्योंकि सब्जियां प्राइमरी फूड श्रेणी में आती हैं और फूड सेफ्टी एक्ट के तहत ऐसी सब्जियां प्राकृतिक रूप से उगती हैं, जो कि मानव निर्मित नहीं होतीं. ऐसे में दोषी तक पहुंचना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है.

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