
नागौर जिले के मकराना से पूर्व बीजेपी विधायक भंवरलाल राजपुरोहित को रेप के 20 साल पुराने मामले में कोर्ट ने दस साल की सजा सुनाई है. साथ ही उन पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है. यह राशि पीड़िता को दी जानी है.
86 साल के हो चुके पूर्व विधायक फैसले के वक्त कोर्ट में मौजूद थे. व्हीलचेयर पर बैठाकर उन्हें कोर्ट में लाया गया था. मकराना एडीजे कोर्ट के फैसला सुनाने के बाद पुलिस ने पूर्व विधायक को गिरफ्तार कर लिया और मेडिकल करवाने के बाद परबतसर जेल में भेज दिया.
मई 2002 में दर्ज हुआ था मामला
दरअसल, मकराना थाना इलाके के मनाना गांव की रहने वाली महिला ने भंवरलाल राजपुरोहित के खिलाफ 1 मई 2002 को बलात्कार का केस दर्ज करवाया था. पुलिस मामला दर्ज नहीं कर रही थी, लिहाजा कोर्ट में इस्तगासा के जरिए मामला दर्ज करवाया गया था. वारदात के वक्त पूर्व विधायक की उम्र 66 साल और महिला की उम्र 22 साल थी.
अब भंवरलाल 86 साल के हो चुके हैं, जबकि पीड़िता की उम्र 43 साल हो चुकी है. रिपोर्ट में महिला ने बताया कि 29 अप्रैल 2002 को वह दोपहर करीब 3 बजे भंवर लाल राजपुरोहित के कुंए पर गई थी. इस दौरान भंवर लाल ने उसे कमरे के अंदर बुलाया और रेप किया था. महिला ने बताया था कि वारदात के दिन पूर्व विधायक की पत्नी घर पर नहीं थी.
आरोपी भंवरलाल व्हीलचेयर पर पहुंचे कोर्ट में
5 साल पहले बोरावड में दीपावली स्नेह मिलन समारोह में भंवरलाल ने राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा की थी. अब वह चलने-फिरने में ज्यादा समर्थ नहीं हैं, लिहाजा व्हीलचेयर में बैठकर कोर्ट में पहुंचे थे.
पति से बात कराने के बहाने से किया था रेप
महिला ने अपनी रिपोर्ट में लिखवाया था कि भंवरलाल ने उससे कहा था कि मैं आपके पति से बात करवा देता हूं. मेरे पति उस वक्त मुंबई में थे. जब मैं अंदर कमरे में गई, तो उन्होंने दुष्कर्म किया था. घटना के बाद महिला ने अपने पिता के साथ जाकर मकराना कोर्ट में रिपोर्ट दी थी.
मकराना थाना पुलिस ने कोर्ट की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर लिया था. फिर पुलिस ने जांच के बाद आरोपी भंवर लाल राजपुरोहित के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया था.
महिला हुई थी गर्भवती
महिला ने रिपोर्ट में बताया कि दुष्कर्म के बाद वह गर्भवती हो गई थी. समाज के लोक लाज के चलते उसने अबॉर्शन कराया था. इस मामले को लेकर मकराना की राजनीति में उफान आ गया था. 20 साल से यह केस अपर सेशन न्यायालय मकराना में चल रहा था.
पूरे मामले में सात गवाहों के बयान दर्ज हुए थे. मामले की पीड़िता की ओर से लोक अभियोजक राम मनोहर डूडी ने पैरवी की थी. सुनवाई के बाद एडीजे कुमकुम ने आरोपी विधायक को सजा सुनाई है.
डेढ़ साल बाद विधायक बने, तो पुलिस ने बंद कर दी फाइल
भंवर लाल राजपुरोहित के खिलाफ दुष्कर्म का मामला मई 2002 में दर्ज हुआ था. उस वक्त आरोपी भंवर लाल राजपुरोहित किसी भी पद पर नहीं थे. हालांकि, इससे पहले भंवर लाल राजपुरोहित प्रधान पद पर रह चुके थे. मामला दर्ज होने के करीब डेढ़ साल बाद राजस्थान में विधानसभा चुनाव हुए थे.
भाजपा की सरकार ने भंवर लाल राजपुरोहित को मकराना से अपना प्रत्याशी भी चुन लिया था. चुनाव जीतकर वह विधायक बन गए थे. इस दौरान कोर्ट में रेप मामले की सुनवाई चलती रही थी. मगर, भंवरलाल वाला मामला ठंडे बस्ते में चला गया था. पुलिस ने इस केस की फाइल ही बंद कर दी थी. जब मामला फिर से कोर्ट के संज्ञान में आया, तब जांच के आदेश दिए गए थे.
आरोपी भंवरलाल चार बार रहे प्रधान
आरोपी भंवर लाल राजपुरोहित मकराना पंचायत समिति में चार बार प्रधान रह चुके हैं. पहली बार वह 20 मई 1971 में, दूसरी बार 30 जनवरी 1975 में, तीसरी बार 27 नवंबर 1981 में और फिर 18 अक्टूबर 1985 में प्रधान बने थे.
पुलिस निरीक्षक ने मामले को बताया था झूठा
मामले की जांच कर रहे तत्कालीन पुलिस निरीक्षक तेजपाल ने 4 माह में जांच कर मामले को झूठा बताया था. 16 अगस्त 2002 को कोर्ट में रिपोर्ट पेश कर दी थी. पुलिस निरीक्षक की मेहरबानी के कारण आरोपी विधायक बन गया था. इसके बाद से ही मामले को दबाने को प्रयास शुरू हो गया था.
पीड़िता के मामले में एफआईआर के लिए फिर से कोर्ट की शरण ली थी. इस पर एक कोर्ट ने 21 फरवरी 2006 को मामले पर संज्ञान लिया और वापस जांच के आदेश दिए थे. इसके बाद मामला मकराना की कोर्ट में चला रहा था.
सुनवाई के दौरान पीड़िता, उसके माता-पिता, दो डॉक्टर और एक जांच अधिकारी सहित अन्य के बयान दर्ज हुए. इन सबके बाद आज मकराना एडीजे कोर्ट ने बीजेपी के पूर्व भंवर लाल राजपुरोहित को दोषी मानते हुए 10 साल जेल की सजा सुनाई.