
सामान्यत: किन्नरों को समाज में समुचित सम्मान नहीं मिलता और उन्हें सदैव तिरस्कृत और हेय दृष्टि से देखा जाता है. उन्हें समाज में वो हक, अधिकार और सम्मान नहीं मिलता, जो एक सामान्य स्त्री या पुरुष को मिलता है. लेकिन फतेहपुर शेखावटी में एक किन्नर ने समाज को आईना दिखाते हुए ऐसी मिसाल पेश की, जिसकी चारों ओर प्रशंसा हो रही है.
दरअसल, यहां एक किन्नर ने मुंहबोली बेटी की धूमधाम से शादी करवाई. यही नहीं, शादी में उन्होंने लाखों रुपये भी खर्च किए. जानकारी के मुताबिक, पूनम बाई नामक किन्नर ने आर्थिक रूप से कमजोर एक परिवार की बेटी को अपनी धर्मपुत्री बनाया. फिर उसकी शादी का पूरा खर्च भी उठाया.
शादी में उन्होंने 10 लाख से ज्यादा रुपये खर्च किए. 1500 से ज्यादा लोगों को प्रीति भोज करवाया. तीन दिन तक शादी का प्रोग्राम धूमधाम से आयोजित किया गया. सगाई से लेकर भात न्योता और शादी की हर रस्म को निभाया गया. यह शादी अब पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है.
इस शादी में किन्नर समाज के कई लोग शामिल हुए. वहीं, बुआ द्वारा निभाई गईं सभी रस्मों के लिए भतीजी ने भी दिल से शुक्रिया अदा दिया. शादी के बाद किन्नर पूनम ने वर वधु को आशीर्वाद दिया और विदाई करवाई.
जानकारी के मुताबिक, किन्नर पूनम ने खुद ही अपनी मुंह बोली के लिए वर ढूंढा था.
बताया जा रहा है कि यहां इंद्रचंद सोनी की इलाके में चाय की दुकान है. पूनम बाई अक्सर उनकी दुकान पर आती थीं. जब उन्हें पता चला कि इंद्रचंद आर्थिक रूप से काफी कमजोर हैं और उनकी एक बेटी अन्नपूर्णा भी है जिसकी शादी को लेकर वह काफी चिंतित हैं. तो पूनम ने उसे अपनी मुंहबोली बेटी बना लिया. फिर उसके लिए खुद रिश्ता ढूंढना शुरू किया.
फिर उन्हें अन्नपूर्णा के लिए रिश्ता मिल भी गया. शहर के ही पं. उमाशकंर के बेटे रजनीश से अन्नपूर्णा का रिश्ता तय करवाया.
खुद ही उसकी सगाई आदि की रस्म निभाई और शादी करवाई. शादी में लाखों के गहने भी मुंह बोली बेटी को दिए.
पूनम बाई ने बताया कि ईश्वर ने मुझे मातृत्व सुख से वंचित रखा. हम किन्नरों में भी आम आदमी की तरह भावनाएं होती हैं. हम भी इसी समाज के हिस्सेदार हैं. लेकिन र्दुभाग्य से हमें समाज में वो स्थान नहीं मिलता जिसके हम हकदार हैं.
जब मैं अन्नपूर्णा से मिली तो मुझे उसमें अपनी बेटी दिखी. मैंने उसे अपनी बेटी समझकर ही उसकी शादी करवाई. मुझे ऐसा लग रहा है जैसे कि मैंने अपनी खुद ही सगी बेटी की शादी करवाई है.
(फतेहपुर शेखावटी से राकेश गुर्जर की रिपोर्ट)