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कैसे दे सकते हैं नौकरी के बाद एक और नौकरी? वीरांगनाओं की मांग पर बोले सीएम गहलोत

राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने पुलवामा के शहीदों की वीरांगनाओं की मांग पर रविवार को बयान दिया. उन्होंने कहा कि शहीदों के परिवारों को नेताओं ने इकट्ठा किया था. इस मामले में सचिन पायलट ने गहलोत पर इशारों में हमला भी बोला था. उन्होंने कहा था कि अगर कोई मिलने आए तो ईगो नहीं दिखाना चाहिए.

राजस्थान में पुलवामा के शहीदों की वीरांगनाओं के मामले में राजनीति तेज (फाइल फोटो) राजस्थान में पुलवामा के शहीदों की वीरांगनाओं के मामले में राजनीति तेज (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • जयपुर,
  • 12 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 9:20 PM IST

जयपुर में वीरांगनाओं का धरना भले ही खत्म करा दिया गया हो लेकिन सीएम अशोक गहलोत के एक बयान से ऐसा लग रहा है कि अभी यह मामला और तूल पकड़ेगा. दरअसल वह इस मुद्दे पर रविवार को बोले- मुझे लगता है कि इन सभी (शहीद परिवारों) को नेताओं ने इकट्ठा किया था. घटना 2019 में हुई थी. उस समय आपने (विपक्ष ने) कोई मांग नहीं की थी. आप (विपक्ष) 4 साल बाद अचानक धरना दे रहे हैं और राजस्थान को बदनाम कर रहे हैं. आप बच्चों की नौकरी के अलावा एक और नौकरी कैसे मांग सकते हैं?

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इससे पहले सीएम ने कहा था कि वे किसी शहीद के बच्चे की नौकरी का हक नहीं मारेंगे, लेकिन किसी के रिश्तेदार को नौकरी देना ठीक परंपरा नहीं है. इस बीच सरकार का एक और बयान आया था कि शहीदों की वीरांगनाओं के लिए नियम के तहत जो कुछ भी देना था, दिया जा चुका है. 

28 फरवरी से दे रही थीं धरना

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 2019 में हुए आतंकवादी हमले में राजस्थान के सीआरपीएफ जवान रोहिताश लांबा, हेमराज मीणा और जीतराम गुर्जर शहीद हो गए थे. इन जवानों की विधवाओं  मंजू जाट, मधुबाला, सुंदरी देवी और रेणु सिंह ने गहलोत सरकार पर उनसे किए गए वादों को पूरा नहीं करने का आरोप लगाया है. वह वादों को पूरा करने की मांग को लेकर 28 फरवरी से प्रदर्शन कर रही थीं. वह नियमों में बदलाव की मांग करते हुए कुछ दिनों से सीएम गहलोत से मुलाकात का समय मांग रही थीं. हालांकि 12 दिन बाद पुलिस ने उनका धरना खत्म करा दिया था.

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वीरांगनाओं की ये हैं मांगें

- वीरांगनाओं की मांग है कि न सिर्फ उनके बच्चों, बल्कि उनके रिश्तेदारों को अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी दी जाए.

- इसके अलावा वे शहीदों के नाम पर सड़कों का निर्माण और उनके गांवों में प्रतिमाएं लगाने की मांग कर रही थीं. 

राज्यपाल से मांगी है इच्छामृत्यु

वीरांगनाओं ने 5 मार्च को राज्यपाल कलराज मिश्र से मिलकर इच्छामृत्यु की मांग की थी. उनके साथ बीजेपी के राज्यसभा सदस्य किरोड़ी मीणा भी राजभवन गए थे. बीजेपी नेता ने कहा था कि शहीदों के परिवारों की जायज मांगों को पूरा करने के बजाय राज्य सरकार तानाशाही कर रही है.

गहलोत के समर्थन में आईं 25 वीरांगनाएं

पुलवामा शहीदों की पत्नियां के धरने के दौरान कुछ और वीरांगनाएं 11 मार्च को मुख्यमंत्री ने मिलने पहुंच गई थीं. उन्होंने सीएम गहलोत से कहा था कि वे अपने और अपने बच्चों के लिए नौकरी चाहती हैं, किसी देवर-जेठ के लिए नहीं.

पायलट ने गहलोत पर साधा था निशाना

वीरांगनाओं के मामले में पिछले दिनों कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने गहलोत का नाम लिए बिना कहा था कि मानना न मामना बाद की बात है, लेकिन बात को सुनने में किसी को ईगो सामने नहीं लाना चाहिए. मेरे घर ये वीरांगनाएं अचानक आ गईं. मैंने उनकी बात सुनी. महिलाएं हैं, भावुक हैं, उनकी मानसिक स्थिति क्या होगी, उन पर क्या बीती होगी. संवेदनशीलता से उनकी बातों को सुना जाना चाहिए था, जो संभव है, बताना चाहिए था. अगर नहीं भी करना है तो उनको बैठकर समझाते या समझाने का काम किया गया होता तो बेहतर तरीके से मामले को निपटाया जा सकता था.

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वहीं सचिन पायलट ने कहा कि लोगों के दिल पर जो राज करता है, असली इंसान वही होता है. बड़े-बड़े पदों पर तो बहुत लोग बैठते हैं. वीरांगनाओं को लेकर राजनीति करने से प्रदेश में गलत संदेश जाएगा. बात अगर एक नौकरी की है या दो नौकरी की है तो कोई बड़ा मुद्दा नहीं है. नियम संशोधन पहले भी हुए हैं और आगे भी होंगे. मैं सैनिकों की शहादत को नमन करता हूं.
 

 

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