
सड़क के बीचों बीच 132 केवी हाइटेंशन टॉवर को देखकर हर कोई हैरान है. यह तस्वीर राजस्थान के बाड़मेर -जैसलमेर को जोड़ने वाले नेशनल हाईवे 68 की है. यहां करीब 28 किलोमीटर रोड तो शिफ्ट कर दी गई, लेकिन हाईटेंशन टॉवर को हटाए बिना ही ठेकेदार ने हाईवे का निर्माण कर दिया.
सबसे बड़ी लापरवाही की बात यह है कि हाईवे निर्माण के बाद यहां से वाहनों का आवागमन भी शुरू हो चुका है. छोटे वाहन हाईटेंशन विद्युत टॉवर के नीचे से गुजरने लगे हैं. यहां से कोई ऊंची हाइट का वाहन जैसे बस-ट्रेलर गुजरते हैं, तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.
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कोयला खनन इलाके के कारण हाईवे को किया शिफ्ट
कपूरडी-जालीपा लिग्नाइट परियोजना के चलते करीब 20 किलोमीटर खनन इलाका आने के कारण भाडखा से जालीपा तक हाईवे शिफ्ट किया गया है. लगभग 28 किलोमीटर हाईवे के लिए 160 करोड़ रुपए का टेंडर जारी हुआ था. इसका काम अब पूरा होने को है.
मगर, हाईटेंशन पोल को हटाए बिना ही ठेकेदार ने हाईवे का निर्माण कर डाला. यह अब बड़े हादसों को न्योता देता दिखाई दे रहा है. चौंकाने वाली बात यह है कि किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने अभी तक इस मामले में संज्ञान नहीं लिया है और वाहनों की आवाजाही भी शुरू हो गई है.
कौन होगा हादसे का जिम्मेदार?
हाइवे में कुछ जगह ओवरब्रिज और पुलियों का काम अभी बाकी है. मगर, हाईवे पर डामर बिछाया जा चुका है. हाईटेंशन टॉवर को सड़क से हटाया नहीं गया है. हर कोई इस हाईवे को देखकर हैरान है. लेकिन, अधिकारियों के कानों तक अब तक जूं नहीं रेंग रही है. यदि आने वाले दिनों में कोई हादसा होता है, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? ठेकेदार या प्रशासन?