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राजस्थान: खनन के खिलाफ आत्मदाह करने वाले संत की मौत, दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में चल रहा था इलाज

राजस्थान के भरतपुर में खनन के खिलाफ धरना कर रहे संत विजय बाबा की अस्पताल में मौत हो गई है. उन्होंने बीते बुधवार को 501 दिन धरना देने के बाद उन्होंने आत्मदाह करने का प्रयास किया था. उसके बाद दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था, जहां आज सुबह करीब ढाई बजे उनकी मौत हो गई है.

फाइल फोटो फाइल फोटो
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 12:13 PM IST
  • खनन के खिलाफ धरना दे रहे थे संत
  • जयपुर से सफदरजंग अस्पताल में किया गया था रेफर

राजस्थान में अवैध खनन के खिलाफ आत्मदाह करने वाले संत विजय बाबा की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई है. उनका शरीर 80 प्रतिशत जल गया था और बाद में उन्हें दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में रेफर कर दिया गया था.  

राजस्थान के बृज क्षेत्र में अवैध खनन के खिलाफ विजय दास 500 से ज्यादा दिन तक धरने पर बैठे थे. उन्होंने 501वें दिन खुद को आग लगा ली थी, जिसमें वो गंभीर रूप से झुलस गए थे और उन्हें स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया था. हालत गंभीर होने के बाद उन्हें जयपुर के एसएमएस अस्पताल और फिर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर किया गया, जहां आज तड़के सुबह करीब 2.30 बजे उनकी मौत हो गई. 

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बीजेपी सांसद ने की सीबीआई जांच की मांग 

भरतपुर की बीजेपी सांसद रंजीता कोली ने विजय बाबा की मौत पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि विजय बाबा ने 500 से ज्यादा दिन तक विरोध प्रदर्शन किया, लेकिन इस मामले में संज्ञान क्यों नहीं लिया गया. वो जनता के लिए लड़ रहे थे, अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं. रंजीता कोली ने साधु विजय बाबा की मौत की सीबीआई जांच की मांग भी की. 
 

19 जुलाई से टावर पर चढ़े हैं साधु

ब्रज क्षेत्र में अवैध खनन के खिलाफ एक और संत नारायण दास भी धरने पर हैं. नारायण दास बाबा 19 जुलाई से मोबाइल टावर पर चढ़े हुए हैं. पुलिस-प्रशासन के अधिकारी नारायण दास की मान-मनौव्वल में जुटे हैं. प्रशासन की ओर से संत नारायण दास को मनाने के लिए की जा रही कोशिशें भी बेअसर होती दिख रही हैं. 

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नूंह में डीएसपी की डंपर से कुचलकर हत्या

संत विजय दास के धरने ने तब तूल पकड़ा, जब हरियाणा के नूंह में डीएसपी सुरेंद्र बिश्नोई की खनन माफियाओं ने डंपर से कुचलकर हत्या कर दी. डीएसपी ने नूंह जिले में चल रहे अवैध खनन को रोकने पहुंचे थे, जहां माफियाओं ने उन्हें मार दिया.  

(इनपुट- जय किशन)

 

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